मेरी कलम कहती है My pen says

मेरी कलम कहती है
जब तू ने प्रथम स्पर्श किया था, तेरी उम्र रही होगी 4 या 5 साल। नहीं संभाल पाया मेरी 20 ग्राम वजन
छूट गई तेरी उंगली सह न सका मेरी भार
मुश्किल से टेढ़ी-मेढ़ी खींच पाया लाइन और घशा करता था बर्बाद किया करता था पन्ना
धीरे धीरे मैं तेरी हाथों में सिमटने में लगा खुशी हुई मुझे बहुत, तुझे क्या अनुभव हुआ।
तूने मुझे बहुत दर्द दिया मैं मंद मंद मुस्काता तेरी नटखट लीला को झेलता हुआ गौरवान्वित महसूस करता था।
तुने मुझे चलाना सीखने लगा मैं चलने लगा। टेढ़ी-मेढ़ी से शुरुआत हुआ मेरे साथ साथ तेरे माता पिता और शिक्षक लड़खड़ाते हाथों को सहारा दे हौसला देने लगे।
तूने सुंदर तो नहीं, लिखने लगा मेरी चाल को समझने लगा। मेरी रफ्तार में खुद को ढालने लगा।
मुझे कागज पर नचाने लगा खूब रिफिल खत्म करने लगा तूने कमीज पर मुझे बहाकर अंगूठा पर रगड़ कर निशान भी लगाया करता था।
वो अंधेरी रात लालटेन दीया के झिलमिलाती रोशनी में भविष्य लिखने लगा। अपनी तकदीर को सीचते हुए कागज पर उकेड़ने लगा।
लिखते लिखते तेरी उम्र प्रौढ़ावस्था में आ गई मेरी सहयोग से स्नातकोत्तर तक की परीक्षा लिख सफल हुआ।
मेरे ही बलबूते बिहार प्रशासनिक सेवा के आखरी मंजिल तक पहुंच चूक गया। मेरे सामने दिन के उजाले में काली अंधेरी रात छा गए कई दिन तक रोया अपने आप को कोसते रहा कई दिनों तक चूक का आकलन करते रहा। कुछ समय उपरांत भूलने लगा, निराशा के बादल छटने लगा। समय के साथ दुख का अनुभव हटने लगा।
मुझे तुम दोष ना देना तेरी जिंदगी की परीक्षा में कभी धोखा नहीं दिया मैं आखरी दम तक तेरा साथ निभाया।
याद है ना तुझे
मैंने तुझे बहुत परीक्षा में सहयोग देकर वर्तमान में सीनियर सेकेंडरी टीचर बनाया। मेरी इच्छा है मेरा अधिकतम सदुपयोग करते रहो, आजीवन लिखते रहो, कोई तुम्हारी लेखनी को रोक न पाए। बेबाक और सच्चाई लिखते रहो। आगे सदा बढ़ते रहो।
मेरी कलम कहती है आप सभी पढ़ेंगे और प्रोत्साहित भी करेंगे।
My pen says

 When you first touched, your age must have been 4 or 5 years.  Could not handle my 20g weight

 Missed your finger could not bear my load

 The line was barely able to pull the zigzag and ruined the page

 Slowly I felt happy in your hands, what did I feel?

 You gave me a lot of pain. I used to feel proud facing my sweet smile, your naughty Leela.

 You started learning to run, I started walking.  Your parents and teachers along with me started cheering from zigzag and started encouraging them with support.

 You are not beautiful, I started writing and started understanding my tricks.  He began to adapt himself to my pace.

 I started dancing on the paper, I started to finish a lot of refills, you used to shed marks on my shirt and rub it on the thumb.

 That dark night began to write the future in the shimmering light of the lantern lamp.  Irrigating his fortune, he began to crush it on the paper.

 While writing, your age came into adulthood and with my help, I succeeded in writing the post-graduation examination.

 On my own, I missed access to the last floor of the Bihar Administrative Service.  In front of me, in the daylight, there was a dark dark night, wept for many days and kept cursing myself and kept assessing the lapse for several days.  After some time, he started forgetting, cloud of despair began to wane.  Over time the experience of grief began to fade.

 Do not blame me, I have never cheated you in the test of my life, I did not support you till the last moment.

 Do you remember me

 I made you a senior secondary teacher by supporting you in many exams.  I wish to keep utilizing me to the best, keep writing for a lifetime, no one can stop your writing.  Impeccably and keep writing the truth.  Always keep moving forward.

 My pen says you will all read and encourage.

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