बिहार के उच्च विद्यालयों में वरीयता निर्धारण की संपूर्ण जानकारी Complete information on the determination of preference in high schools of Bihar

विद्यालय शिक्षा का केंद्र होता है। शिक्षा से व्यक्तियों की समस्त शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। शिक्षा के बिना पूर्ण विकास की कल्पना करना व्यर्थ है।

शिक्षा ही जीवन है, अनपढ़ रहना कलंक है।

बिहार में प्राथमिक से उच्च माध्यमिक विद्यालयों की संख्या लगभग 4.5 लाख है वही विद्यालयों की संख्या लगभग 71000 से ज्यादा है।

वरीयता की आवश्यकता क्यों पड़ी:-
विद्यालयों के सफल संचालन एवं विभागीय आदेश का अनुपालन के लिए वरीयता का निर्धारण आवश्यक होता है।शिक्षकों में आपसी खींचातानी दूर करने एवं सहमति बनाने केे लिए आवश्यक है। वरीयता का निर्धारण हो जाने से विद्यालय का प्रधानाध्यापक/प्रभारी प्रधानाध्यापक घोषित करनेे में आसानी होती है।

*बिहार जिला परिषद माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षक (नियोजन एवं सेवा शर्त) नियमावली 2006 (समय समय पर यथा संशोधित) एवं बिहार नगर निकाय माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक शिक्षक (नियोजन एवं सेवा शर्त) नियमावली 2006 (समय-समय पर यथा संशोधित) के नियम 8 (viii)(क) के तहत शिक्षकों की वरीयता के संबंध में सरकार द्वारा संचिका संख्या: 11/मु 9-99/2019-1500 पटना दिनांक 22-07-2019 को अधिसूचना निर्गत किया गया है।

*माध्यमिक शिक्षा के सुदृढ़ीकरण हेतु सभी माध्यमिक विद्यालयों का उच्च माध्यमिक विद्यालयों में उत्क्रमण राज्य सरकार द्वारा किया गया है। एतदर्थ उच्च माध्यमिक शिक्षक अथवा माध्यमिक शिक्षक दोनों कोटियों के शिक्षक द्वारा विद्यालय तालिका में निर्धारित विषयों का शिक्षण अनिवार्य रूप से किया जाना है अर्थात उच्च माध्यमिक शिक्षकों द्वारा माध्यमिक कक्षा एवं माध्यमिक शिक्षकों के द्वारा उच्च माध्यमिक स्तर के कक्षाओं में शिक्षा कार्य किया जाएगा।

नियोजित शिक्षकों की आपसी वरीयता का निर्धारण:-
1. प्रशिक्षित शिक्षक एवं अप्रशिक्षित शिक्षक में प्रशिक्षित शिक्षा वरीय होंगे।
2. वरीयता का निर्धारण संबंधित नियोजन इकाई अंतर्गत नियोजन की तिथि एवं प्रशिक्षण योग्यता प्राप्ति की तिथि, जो बाद में हो, के आधार पर निर्धारित कियाा जाएग।
3. कंडिका (2) में वर्णित स्थिति यदि किन्ही दो शिक्षकोंं के बीच समान होती है तो समान विषय के शिक्षक की स्थिति में मेधा सूची में जो शिक्षा ऊपर होंगे, वे वरीय होंगे
*यदि दो शिक्षा अलग-अलग विषय के होंगे तो जन्मतिथि जिनकी पहले होगी, वे वरीय होंगे।
*जन्मतिथि के समान होने की स्थिति में अंग्रेजी के शब्दकोष के अनुसार जिस शिक्षक का नाम पहले आएगा, वह वरीय होंगे।
4. प्रशिक्षित स्नातकोत्तर उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं प्रशिक्षित माध्यमिक शिक्षक में प्रशिक्षित उच्च माध्यमिक शिक्षक वरीय होंगे, परंतु प्रशिक्षित माध्यमिक शिक्षक, जिनकी स्नातकोत्तर की योग्यता तथा कार्यकाल की अवधि दोनों 04(चार) वर्ष पूर्ण हो चुकी हो, की वरीयता समान होगी। ऐसे दो शिक्षकों की आपसी वरीयता का निर्धारण ऊपर के उप कंडिकाओ में निर्धारित मापदंड के अनुरूप किया जाएगा। यह मात्र वरीयता के निर्धारण के लिए प्रभावी होगा, इसके आधार पर उच्च स्तर का वेतन आदि अथवा भत्ता देय नहीं होगा।
5. उपर्युक्त परिस्थिति के इतर यदि कोई आपसी वरीयता का मामला उत्पन्न होता है तो निदेशक, माध्यमिक शिक्षा के द्वारा उसका निराकरण किया जाएगा।
**माध्यमिक शिक्षक एवं स्नातकोत्तर(+2) शिक्षक के प्रथम 2 वर्ष की अवधि को परीक्ष्यमान अवधि मानते हुए उक्त वरीयता का लाभ प्रथम दो वर्षों के लिए देय नहीं होगा।                                                            School is the center of education.  Education develops all the physical, mental and spiritual powers of individuals.  It is futile to imagine complete development without education.


 Education is life, being illiterate is a stigma.


 The number of primary to higher secondary schools in Bihar is around 4.5 lakhs, the number of schools is more than 71000.


 Why Priority was required: -

 Determination of priority is necessary for successful operation of schools and compliance with departmental orders. It is necessary to remove mutual tussle between teachers and formulate consensus.  Once the preference is determined, it is easy to declare the headmaster / in-charge of the school.


 * Bihar Zilla Parishad Secondary and Higher Secondary Teacher (Employment and Service Condition) Rules 2006 (as amended from time to time) and Bihar Municipal Body Secondary and Higher Secondary Teachers (Planning and Service Conditions) Rules 2006 (as amended from time to time)  Notification regarding preference of teachers under Rule 8 (viii) (a) has been issued by the Government on file number: 11 / MU-99 / 2019-1500 Patna dated 22-07-2019.


 * For the strengthening of secondary education, all secondary schools have been inverted by higher secondary schools by the state government.  Thus, teaching of subjects prescribed in the school table is compulsory to be done by teachers of both categories, ie Secondary Teacher or Secondary Teacher, ie education work will be done in Secondary Class by Secondary Teachers and in Secondary level classes by Secondary Teachers.


 Determination of mutual preference of employed teachers: -

 1. Trained education will be preferred among trained teacher and untrained teacher.

 2. The preference will be determined on the basis of the date of employment and date of attainment of training qualification, which will be later, under the respective planning unit.

 3. If the situation described in Condica (2) is similar between any two teachers, then the education above the merit list will be preferred in the case of teacher of same subject.

 * If two education will be of different subject, then the date of birth, which will be first, will be preferred.

 * If the date of birth is similar, according to the English dictionary, the teacher whose name comes first will be preferred.

 4. Trained Postgraduate Higher Secondary Teacher and Trained Secondary Teacher will be preferred, but trained secondary teacher, who has completed 04 (four) years of both postgraduate qualification and tenure, will be preferred.  The mutual preference of two such teachers will be determined according to the criteria laid down in the sub-paragraphs above.  This will be effective only for the determination of preference, on the basis of this, higher level salary etc. or allowance will not be payable.

 5. Apart from the above situation, if a case of mutual preference arises, it will be resolved by the Director, Secondary Education.

 ** The benefit of the said preference will not be payable for the first two years, considering the duration of the first 2 years of secondary teacher and postgraduate (+2) teacher as the testable period.

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