हिचकोला खाती जिंदगी Hitchhiker eats life


मैंने देखा है बस स्टैंड की जिंदगी जहां जिंदगी को सामान समझ ऊपर नीचे कोच दिया जाता है। क्या बूढ़े क्या बच्चे क्या नौजवान सब एक दूसरे से चिपके हैं मानो सब के सब चुंबक हो गए। सिर्फ गंतव्य तक जाना है इसलिए कष्ट झेल जाना है। यही हाल रेलवे स्टेशन की है विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने को जा रहे युवाओं की भीड़ देखी है मैंने क्या स्लीपर क्या जनरल बोगी सब के सब एक समान है सब में भरे हैं अपने माथे से बेरोजगारी का कलंक मिटाने खड़े बैठ जा रहे हैं युवा। एक पद के लिए हजारों की भीड़ खड़ी है असमंजस में है जिंदगी क्या पाएगा क्या खोएगा क्या मिलेगा रोजगार बस यही चिंता खाए जा रही है। मैं बिहार के परिपेक्ष में लिख रहा हूं। बिहार उत्कृष्ट गौरव गाथा से भरा पड़ा है। ज्ञान विज्ञान शिक्षा स्वास्थ्य को विरासत गाथा में समेटे वर्तमान में लालायित है। सरकार के लाख प्रयास के बावजूद शिक्षा स्वास्थ्य व्यवस्था गिरती जा रही है । शिक्षित बेरोजगार की फौज बढ़ती जा रही है रोजगार परक योजना बौना साबित होता जा रहा है। बेरोजगारी की दंस इतनी बढ़ गई है कि अपनी योग्यता को तिलांजलि दे किसी भी पद का पोदान पकड़ लेने को आतुर है। बस एक अदद नौकरी पाने को जी जान से लगे हैं वर्षों से कर रहे हैं तैयारी और इंतजार। बड़े बुजुर्ग कहते हैं आने दो इस बार नौकरी हो जाएगी तेरे लिए पक्की खूब करो मेहनत एक ना एक दिन अवश्य सफलता मिलती है। नौकरी के इंतजार में कितने जवान से हो गए बूढा।

प्रतिस्पर्धा के दौर में जिंदगी हिचकोला खा रही है। जिंदगी को पता नहीं है किस दिशा में है रोजगार व्यापार और कमाई। बस सब के सब भीड़ में भाग रहे हैं दो जून की रोटी के लिए मशक्कत कर रही है जिंदगी। उतार चढ़ाव इतनी है कि पहाड़ी रास्ता की शर्मा जाए। जिंदगी देने वाले के साथ साथ छीनने को अपराधी भी शातिर है। बढ़ते अपराध बढ़ते भ्रष्टाचार बढ़ती बेरोजगारी घटते रोजगार मानो जिंदगी फूटी नाव में सवारी कर रही है । कब किसका जिंदगी बड़े हिचकोले के साथ मिट जाए कहना मुश्किल है। जिंदगी के हिचकोले दिखाई नहीं देता है ना सुनाई पड़ता है सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। यह सड़कों की हिचकोले के ही समान है लेकिन सड़क के हिचकोले को कोसने वाले बोलने वाले बहुत होते हैं।जिंदगी के हिचकोले को समझने वाले ही कम है तो बोलेंगे और लिखेंगे कौन? कुछ समझते भी हैं तो डरते हैं वास्तविकता को बोलने और लिखने से हिचकिचाते हैं। साहब आपस में और मन में जो आप बोलते हैं वही सोशल मीडिया पर बोलिए और लिखिए एक क्रांति का जन्म होगा। यह क्रांति दूर करेगी बेरोजगारी भ्रष्टाचारी लगाम कसेगी अपराध, पर होगा शिक्षा स्वास्थ्य का विकास परिवर्तन की लहर दौरेगी। उत्तम शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए अन्य राज्य को करते पलायन से पूछिए कितनी विदारद होती है कष्टमय सफर बहुत होती है। अपने परिवार के पेट पालने के लिए पलायन को मजबूर मजदूर से पूछिए। कैसे कटती है उनकी जिंदगी? परंपरागत खत्म होती व्यापार खेती व्यवसाय क्या यह उत्तरदायी नहीं है हिचकोला खाती जिंदगी के निर्माण करने के लिए?                               I have also seen the bus stand key where life is given a coach up and down.  What old and children, whether the youth are clinging to each other as if they all became magnets.  You only have to go to the destination, so you have to suffer.  The same situation is with the railway station. I have seen the crowd of youth going to appear in various competitive examinations. Have I seen the sleeper or general bogey are all equal, all of them are sitting with their foreheads to remove the stigma of unemployment.  Thousands of people are in a dilemma for a post, what will life be like, what will they lose, what will they get? Employment is just this concern.  I am writing in the context of Bihar.  Bihar is replete with excellent saga.  Knowledge science education incorporating health into heritage saga is currently in vogue.  Despite the government's efforts, the education health system continues to fall.  The army of educated unemployed is increasing, employment scheme is becoming dwarf.  Unemployment has increased so much that it is eager to take hold of any post, without giving up its qualification.  Just to get a very good job, I have been busy for years, preparing and waiting.  Elder elders say, come and go, this time the job will be done for you. Make sure you work hard, one day you will definitely get success.  How old did he become in waiting for his job?

 Zindagi is eating at a time of competition.  Zindagi does not know in which direction the employment is in business and earning.  All of them are running into the crowd, life is trying for the bread of June 2.  There are so many ups and downs that one feels ashamed of the hill path.  The criminal is also vicious to snatch along with the giver of life.  Increasing crime, rising corruption, rising unemployment, decreasing employment as if life is riding in a boat.  It is difficult to say when whose life is erased with great hesitation.  The hiccups of life are not seen or heard, only can be experienced.  It is similar to the hiccups of the road but there are many people who speak the hiccups of the road. Only few who understand the hiccups of life are less then who will speak and write?  Even if some understand, they are afraid to speak and write the reality.  Sir, speak to each other and in your mind, speak on social media and write a revolution will be born.  This revolution will remove unemployment, corruption will be controlled, crime will be on the development of education, health will change.  Ask for a migration to another state for best education and health, how much a painful journey is a lot.  Ask the forced labor to flee to feed your family.  How does their life get cut?  Traditional Ending Business Farming Business Is it not liable to build a hitchhiking life?

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