शोषण का शिकार होता: नियोजित शिक्षक Victimized exploitation: employed teacher

सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत बहाल की गई, आधा अधूरा वेतन पर नियुक्त शिक्षकों को नियोजित शिक्षक कहा जा सकता है। विभिन्न राज्यों में यह शिक्षक विभिन्न नामों से जाना जाता है। बिहार राज्य में इन शिक्षकों का नाम नियोजित शिक्षक दिया गया है। बिहार में नियोजित शिक्षकों की संख्या लगभग 4.5 लाख है।
नियोजित शिक्षकों द्वारा संपादित किए जाने वाले कार्य:-
*. समाज के अंतिम छोर पर स्थित परिवार के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का कार्य नियोजित शिक्षक द्वारा ही होता है। जिस समुदाय के लोगों से विभिन्न कारणों से छूना तो दूर की बात है देखना भी पसंद नहीं करते हैं वैसे समुदाय के बच्चों को शिक्षा देकर सींचने का कार्य नियोजित शिक्षक कर रहे हैं।
*. गरीब मजदूर असहाय के बच्चों को विद्यालय तक लाने के लिए प्रोत्साहित एवं हौसला प्रदान करते हुए, भविष्य सृजन करने का काम और कोई नहीं नियोजित शिक्षक ही कर रहे हैं।
*. संसाधनों के घोड़ अभाव में बच्चों को शिक्षा प्रदान करने वाला नियोजित शिक्षक ही है। सरकारी विद्यालय आने वाले बच्चों के पास कॉपी कलम स्लेट पेंसिल पुस्तक की कमी होती है। बच्चों को पहनने के लिए कपड़े नहीं होते हैं। कपड़े साफ नहीं होते हैं और होते हैं अभी तो फटे पुराने मैंले कुचले, वैसे बच्चों को पूरी तत्परता और निस्वार्थ भाव से शिक्षा प्रदान करने का कार्य नियोजित शिक्षक कर रहे हैं।
*. विद्यालय में वर्गकक्ष की कमी, बैठने के संसाधनों का अभाव अर्थात बेंच डेक्स की उपलब्धता नहीं होना। सामान्यत देखने को मिलता है कि वर्ग 1 से 5 तक के लिए बेंच डेक्स होता ही नहीं है। कुछ विद्यालयों में विद्यालय प्रशासन द्वारा बैठने हेतु दरी की व्यवस्था की जाती है जबकि अधिकांश विद्यालयों में बच्चे खुद ही अपना बोरा चट्टी लाते हैं और बिछाकर पढ़ने के लिए बैठते हैं।
*. बच्चों के पास बैग के नाम पर पॉलिथीन या झोला में कुछ लिखने पढ़ने के साधन और एक थाली अवश्य होती है। कुछ विद्यालयों में विभाग एवं विद्यालय प्रशासन थाली की व्यवस्था की है लेकिन आवश्यकता से बहुत कम है। पानी पीने के लिए ग्लास की उपलब्धता बच्चों के लिए नगण्य है।
*. अधिकांश विद्यालयों में चापाकल या पानी की व्यवस्था की गई है लेकिन पानी में आर्सेनिक तत्व आयरन एवं अन्य हानिकारक तत्वों की उपलब्धता अधिक होने से पीने योग्य नहीं है।
*. बढ़ती पदाधिकारियों के दौड़ा के साथ साथ ग्रामीणों अभिभावकों का विभिन्न कारणों से कोप का भाजन होते रहना नियोजित शिक्षकों की दिनचर्या में शामिल हो गया है।
*. पदाधिकारियों द्वारा शिक्षण कार्य की निगरानी बहुत कम की जाती है। शिक्षकों की उपस्थिति और अनुपस्थिति एवं अभिलेखों के संधारण में मीन मेख निकालकर टेबल के नीचे से भ्रष्टाचार का हाथ आगे बढ़ाते देखा जाता है।
*. ऐसा देखने को नहीं के बराबर मिलता है कि पदाधिकारी वर्ग कक्ष में जाएं और शिक्षकों को पढ़ाने के बारे में अच्छी-अच्छी जानकारी या तरीका से अवगत कराएं। कुछ अच्छे पदाधिकारियों भी हैं जो शिक्षकों को पढ़ाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।
*. सभी प्रकार की चुनाव नियोजित शिक्षकों की सहभागिता से होकर गुजरती है। चुनाव कार्य में प्रशिक्षण से लेकर चुनाव गणना तक नियोजित शिक्षक साथ देते हैं।
*. जनगणना, पशुगणना, बीएलओ, जल जीवन हरियाली, राशन कार्ड वितरण, मानव श्रृंखला निर्माण एवं समय-समय पर सरकार द्वारा आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में सहभागिता दर्ज कर नियोजित शिक्षक द्वारा संपन्न कराया जाता है।
*. सरकार द्वारा संचालित विभिन्न लाभुक योजना का क्रियान्वयन को बच्चों तक पहुंचाने हेतु सभी कागजी कार्रवाई को निपटाते हुए लाभान्वित होने वाले बच्चों तक नियोजित शिक्षक द्वारा ही पहुंचाया जाता है।
*. बच्चों का आधार कार्ड बनवाना एवं सुधार करवाना, बैंक में खाता खुलवाना आदि कार्य में नियोजित शिक्षकों की सहभागिता होती है।
*. मध्यान्ह भोजन योजना में पका पकाया भोजन के अलावा अंडा दूध फल इत्यादि का वितरण भी करना पड़ता है।
*. बच्चों के नामांकन के लिए घर घर जाकर अनामांकित बच्चों का सर्वे करना और विभिन्न प्रकार के पंजी का संधारण करना नियोजित शिक्षक का ही कार्य है।
इन सब परिस्थितियों में बच्चों को शिक्षा प्रदान कर भविष्य संवारने का कार्य नियोजित शिक्षक बड़ी ही तत्परता से करते रहते हैं
उप्रयुक्त कार्यों में नियोजित शिक्षक बहुत अच्छा है ऐसा सरकार और समाज का भी मानना है।

नियोजित शिक्षकों का शोषण:-
*. उपर्युक्त कार्यों को संपन्न करते हुए, नियोजित शिक्षक अपनी भविष्यय की चिंता प्रकट करने के लिए वेतन बढ़ोतरी व अन्य जायज सुविधाओं की मांग कर दिया तो सरकार और समाज दोनोंं की नजरों में खटकने लगती है। साथ ही नियोजित शिक्षकों के प्रति दुष्प्रचार प्रारंभ हो जाती है।
*. हमारी सरकार सार्वजनिक जगहों पर यह कहते हुए थोड़ा भी नहीं हिचकते है कि नियोजित शिक्षकों को वेतन व अन्य सुविधाएं बढ़ाई गई तो बिहार की अन्य सारी योजना बंद हो जाएगी। क्या इसका तात्पर्य यह निकलता है कि बिहार की सभी योजनाएं नियोजित शिक्षकों की वेतन व अन्य सुविधाओं की हकमारी से संचालित होती है?
*. हमारी सरकार विभिन्न अवसरों पर सदन से लेकर सड़क और सभा तक में नियोजित शिक्षकों को धिक्कारने में थोड़ा भी कमी महसूस नहीं करती है।
*. हमारी सरकार नियोजित शिक्षकों के प्रति क्या-क्या बोलती है कुछ संक्षेप में इस प्रकार है:-
#. अरे तुम नियोजित शिक्षक हो
#. मर जाओगे तो दाह संस्कार कबीर अंत्येष्टि योजना से हो जाएगा
#. राम आम खाता है कि खाती है पता नहीं है और इसे वेतनमान चाहिए
#. बताइए क्या सेंस है
#. सड़क से उठाकर शिक्षक बना दिए नहीं तो दिल्ली पंजाब में ठेला रिक्शा चलाता
#. हम ही दिए हैं हम ही देंगे
#. कहां कहां नहीं गए कैसे-कैसे वकील नहीं रखें क्या हुआ सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आ गया
##. नियोजित शिक्षकों को भगवान भी वेतनमान नहीं दे सकते हैं
##. ऐसा बोलते हुए आप सभी ने कहीं न कहीं अवश्य सुना होगा

*. पटना हाई कोर्ट द्वारा पीएफ कटौती हेतु न्याय निर्णय हो चुका है लेकिन सरकार द्वारा लागू करने में आनाकानी किया जा रहा है।
*. वर्ष 2015 में वेतनमान का एक नया प्रारूप बनाकर नियोजित शिक्षकों को दे दिया गया जिसके तहत नियुक्ति के प्रथम 2 वर्ष तक प्रशिक्षित को भी अप्रशिक्षित माना जाता है और उसी के अनुरूप वेतन दी जाती है। इस वेतनमान में मूल वेतन और ग्रेड पे को जोड़कर महंगाई भत्ता गृह भत्ता एवं चिकित्सा भत्ता दे दी जाती है। जबकि वेतनमान में मूल वेतन और ग्रेड पे को जोड़कर इंट्री पे निर्धारित किया जाता है इसी इंट्री पे पर सभी भत्ता दी जाती है यह नियोजित शिक्षकों के नसीब में नहीं है।
*सृष्टि के इतिहास में पहली बार ऐसा एक उदाहरण देखने को मिलता है जहां परिचारी शिक्षक से अधिक वेतन मिलता है और शिक्षक को परिचारी से कम वेतन मिलता है।
*बिहार के अन्य विभागों में नियुक्त नियोजित कर्मी को पीएफ की कटौती की जा रही है, लेकिन नियोजित शिक्षकों से पता नहीं किस जन्म का बदला ले रही है सरकार और सुविधाओं से वंचित रख रही है।
*. अर्जिता अवकाश से भी वंचित रखा गया है। नियोजित शिक्षकों को कहा जाता है खाली हाथ योगदान करो, जिंदगी भर वेतन का इंतजार करो और सेवा निर्वित उपरांत स्वर्ग को सुधार जाओ। क्योंकि वेतन ही इतना कम है कि नौकरी अवधि में संजीत नहीं किया जा सकता और नौकरी बाद खाली हाथ घर वापसी होगी, बुढ़पा का कोई सहारा नहीं।
*. पेंशन की तो बात ही नहीं कीजिए यह तो हमारे भूतपूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई के समय हे समाप्त कर दी गई और खुद भी स्वर्ग सिधार गए।
*. नियोजित शिक्षकों यह पंक्तियां बिल्कुल उचित बैठती है:-खाली हाथ आओ, खाली हाथ जाओ, ताउम्र भ्रम में रहो कि मैं सरकारी नौकरी करता हूं, सरकारी शिक्षक हूं।
*. बुढ़ापा की याद आते हैं अपने आप को यमराज के हवाले समर्पित करने को ढाढस बढ़ाकर प्रतिदिन विद्यालय जाता हूं बच्चों को पढ़ाता हूं और वापस आकर सोचता हूं कि बुढ़पा में किस के आगे हाथ फैलाना पड़ेगा या कभी इस द्वार तो कभी उस द्वार.............  Restored under the Sarva Shiksha Abhiyan, teachers appointed on half-incomplete salary can be called employed teachers.  This teacher is known by different names in different states.  These teachers have been named employed teachers in the state of Bihar.  The number of teachers employed in Bihar is around 4.5 lakhs.

 Work to be done by employed teachers: -

 *.  The task of imparting education to the children of the family at the end of the society is done by the employed teacher.  The community, whose people are touched by people for various reasons, do not like to be seen, in the same way, the teachers are doing the work of educating and irrigating the children of the community.

 *.  The poor laborers are encouraging and encouraging the helpless children to reach the school, and no other employed teacher is doing the job of creating a future.

 *.  In the absence of a lot of resources, it is the employed teacher who provides education to the children.  Children coming to government school lack a copy pen slate pencil book.  Children do not have clothes to wear.  Clothes are not clean and are still torn in the old ways, by the way, the teachers are doing the work of providing education to the children with full readiness and selflessness.

 *.  Lack of classrooms, lack of seating resources in the school i.e. no availability of bench decks.  It is generally seen that there is no bench decks for classes 1 to 5.  In some schools, the school administration arranges carpets to sit, while in most schools, children bring their own sack chatti and sit down to read.

 *.  Children must have the means to read and write something in a polythene or bag in the name of a bag.  In some schools, the department and school administration have arranged the thali but much less than required.  The availability of glass for drinking water is negligible for children.

 *.  Chapakal or water is provided in most of the schools, but the availability of iron and other harmful elements arsenic in the water is not potable.

 *.  Along with the running of the office bearers, the parents of the villagers have become part of the anger of the wrath due to various reasons.

 *.  The teaching work is very less supervised by the officials.  In the presence and absence of teachers and the maintenance of records, a meek meek is seen moving the hand of corruption from under the table.

 *.  It is almost impossible to see that the officials go to the class room and educate the teachers about the good information or method of teaching.  There are also some good officials who keep motivating teachers to teach.

 *.  All types of elections go through the involvement of employed teachers.  From training in election work to election counting, employed teachers accompany them.

 *.  Census, Census, BLO, Jal Jeevan Hariyali, distribution of ration card, creation of human chain and participation in various programs organized by the government from time to time is done by the employed teacher.

 *.  The implementation of the various beneficiary schemes run by the government, while dealing with all the paperwork to reach the children, is delivered to the beneficiary children only by the employed teacher.

 *.  Participation of teachers employed in the task of getting the children Aadhaar card made and improved, opening of bank accounts etc.

 *.  Apart from cooked food, egg milk, fruits etc. have to be distributed in the mid-day meal scheme.

 *.  For the enrollment of children, it is the job of the employed teacher to survey the unnamed children and maintain different types of registers.

 In all these situations, by providing education to the children, the teachers employed to prepare for the future keep doing it very promptly.

 The government and society also believe that the teacher employed in the above works is very good.


 Exploitation of employed teachers: -

 *.  While performing the above mentioned tasks, the employed teachers demand salary hike and other legitimate facilities to express concern for their future, then both the government and society start to lose sight.  At the same time, propaganda towards employed teachers starts.

 *.  Our government has no hesitation in saying in public places that if the salary and other facilities are increased to the employed teachers, then all other schemes of Bihar will be closed.  Does it mean that all the schemes of Bihar are run with the entitlement of salaries and other facilities of the employed teachers?

 *.  Our government does not seem to miss a single thing on the various occasions, from the House to the Road and the Assembly, to the teachers employed.

 *.  What our government speaks towards the teachers employed is as follows: -

 #.  Hey are you a teacher

 #.  If you die, the cremation will be done by Kabir funeral.

 #.  Ram eats mango that does not know eats and it needs pay scale

 #.  Tell me what is sense

 #.  Picked up off the road and made a teacher, otherwise a porter rickshaw in Delhi Punjab

 #.  We have given only we will give

 #.  Where did not go, how and where did not keep lawyers, what happened is the instruction of the Supreme Court.

 ##.  God cannot even give salary to employed teachers - Sushil Modi

 ##.  You must have heard somewhere while speaking like this


 *.  Justice decision has been taken by the Patna High Court for PF deduction, but the government is being reluctant to implement it.

 *.  In the year 2015, a new format of pay scale was created and given to the employed teachers, under which trained for the first 2 years of appointment are also considered untrained and paid accordingly.  In this pay scale, dearness allowance, house allowance and medical allowance are given by adding basic pay and grade pay.  While entry pay is determined by adding basic pay and grade pay to the pay scale, all allowances are given on this entry pay, it is not in the destiny of employed teachers.

 * For the first time in the history of creation, one such example is seen where the attendant gets more salary than the teacher and the teacher gets less than the attendant.

 * PF is being deducted for employed personnel employed in other departments of Bihar, but it is not known from employed teachers who is taking revenge for birth, depriving the government and facilities.

 *.  Arjita is also denied leave.  Employed teachers are asked to contribute empty-handed, wait for their salary throughout their lives and go to heaven after service is released.  Because the salary is so low that it cannot be held during the job period and after the job will be back home empty handed, there is no support for old age.

 *.  Not to mention the pension, it was abolished at the time of our former Prime Minister late Atal Bihari Bajpai and he himself went to heaven.

 *.  Employed teachers This line fits perfectly: - Come empty-handed, go empty-handed, stay in the illusion that I do a government job, I am a government teacher.

 *.  Remembering old age, I dedicate myself to Yamraj and go to school every day to teach my children and come back and think about who will have to stretch their hands in old age or sometimes this door or that door….  .........

Comments

Unknown said…
मार्मिक उल्लेख

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